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पाकिस्तानी सेना भी देख रही कारगिल विजय दिवस समारोह, भारत ने ही दिया है मौका…

भारतीय सेना ने 1999 में जिस तरह के शौर्य और पराक्रम की मिसाल कायम की, दुनिया आज भी उसे याद करती है।

वहीं पाकिस्तान इस जख्म को कभी भुला नहीं सकता। हर साल की तरह इस साल भी 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है।

दरअसल मई से लेकर जुलाई तक चले इस युद्ध में 26 जुलाई को ही भारतीय सेना का ऑपरेशन विजय सफल हुआ था। इसलिए इस दिन को विजय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 

भारतीय सेना ने गुरुवार को ही लद्दाख में विजय दिवस समारोह की शुरुआत करती है। वहीं भारतीय सेना ने इस समारोह को देखने का मौका पाकिस्तान को भी दिया है।

मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि 17500 फीच की ऊंचाई वाली पोस्ट से पाकिस्तान इस समारोह का नजारा ले सकेगा। दो चोटियों वाली पहाड़ी 5353 जो कि उत्तरी द्रास के पास स्थित है, वहां से पाकिस्तान की सेना भी इस समारोह को देख सकती है।

उन्होंने कहा, वे लोग हमें देख रहे हैं। उन्हें याद हो रहा होगा कि कैसे उन्हें हार का सामना करना पड़ा था और उन्होंने अपने सैनिकों के शवों को लेने से भी इनकार कर दिया। 

बता दें कि पॉइंट 5353 से पाकिस्तानी सेना श्रीनगर-लेह  हाइवे का नजारा ले सकता है। द्रास के पास लामोचेन की चोटी पर विजय दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है।

यह चोटी 11500 फीट ऊंची है। रिटायर्ड अधइकारियों, कारगिल के योद्धाओं और उके परिवारों की उपस्थिति में कारगिल विजय दिवस की शुरुआत की गई। इस समारोह में सेना ने युद्ध को रिक्रिएट किया। जिन चोटियों पर भारतीय सेना के जवानों ने बहादुरी दिखाई थी, उन्हें फिर से दिखाने की कोशिश की गई। 

लामोचेन से 5353 पॉइंट की दूरी करीब तीन किलोमीटर है। यह पोस्ट कई सालों से विवादित भी रही है। कहा जाता है कि आखिर सेना ने इसपर कब्जा क्यों नहीं किया।

हालांकि शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि यह विवाद बेकार का है। यह एलओसी की दूसरी तरफ है और अगर इसपर कब्जा करने की कोशिश की जाती तो यह अपने ही बनाए नियमों का उल्लंघन होता। 

एक अन्य अधिकारी ने कहा, उन्हें पता है कि हम विजय दिवस मान रहे हैं। हमें पता है कि वे लोग हमें देख रहे हैं। क्योंकि पॉइंट 5353 से यहां का सीधा व्यू मिलता है।

बता दें कि 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छूट गए थे और भारतीय सेना ने उन्हें सभी भारतीय चोटियों से खदेड़ दिया था। इस युद्ध में 527 जवान शहीद हुए थे।

वहीं पाकिस्तान ने कभी स्पष्ट संख्या नहीं बताई। हालांकि अनुमान है कि पाकिस्तान की तरफ मरने वालों की तादाद हजारों में थी। 

विजय दिवस पाकिस्तान के ऑपरेशन बद्र की बेहाली की याद दिलाता है। एक अधिकारी ने कहा, पाकिस्तान के सैनिक इस समारोह को देखकर यही सोच रहे होंगे कि कितना भी कोशिश कर लो, परिणाम एक ही होने वाला है।

भारत की सेना आज बहुत ताकतवर है इसलिए पाकिस्तान को कोई दाल नहीं गलने वाली है। 

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