व्यापार

साइबर अटैक ने 300 छोटे और मंझोले बैंकों को किया नुकसान, 1000 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित कीया

पिछले दो-तीन दिनों से देश भर के लगभग छोटे और मध्यम दर्जे के 300 बैंकों के एटीएम पैसे निकालने और यूपीआई से भुगतान सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। इसकी बड़ी वजह सी-एज टेक्नोलॉजी पर रैनसवेयर का हमला है। यानी साबइ अटैक की वजह से यह सभी सेवाएं प्रभावित हुईं हैं। नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) सी-एज टेक्नोलॉजी के साथ इन सेवाओं को प्रदान करता है। इसका असर छोटे और मध्यम (एमएसएमई) दर्जे के कारोबार पर देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से उनके कारोबार में करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। रोजना मुंबई में एमएसएमई का 1000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है जिस पर असर पड़ा है। पिछले तीन में दिनों में करोड़ों रुपये का नुकसान कारोबारियों को उठाना पड़ रहा है। एनपीसीआई का कहना है कि वह सी-एज टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर समस्या को हल करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है और आवश्यक सिक्यूरटी रिव्यू भी किया जा रहा है। प्रभावित बैंकों की कनेक्टिवटी जल्द ही बहाल की जाएगी। सी-एज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले छोटे आकार के लगभग 300 बैंक है। पिछले दो से तीन दिनों से वह इस समस्या का सामना कर रहे हैं। एनपीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि गुरुवार दोपहर तक सेवाओं को बहाल कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक ग्राहक समस्या का सामना कर रहे हैं।

एमएसएमई सेक्टर के कारोबार में यूपीआई की अहम भूमिका

चैंबर ऑफ एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्री के अध्यक्ष दीपेन अग्रवाल का कहना है कि एमएसएमई सेक्टर में कारोबार का लेनदेन यूपीआई से होता है। इस तरह की परेशानी से कारोबार को रोज का 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वर्तमान समय छोटे कारोबारी लेनदेन के लिए यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी वजह से छोटे से लेकर बड़े सभी ट्रांजेक्शन नहीं हो पा रहे हैं। उनका कहना है कि जब डिजिटल पेमेंट अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं तो इस तरह की समस्या से कारोबार सहित लोगों का विश्वास भी कम होता है। यह सरकारी व्यवस्था है जिसको सुरक्षित रखना सबसे बड़ी बात है ऐसे में कारोबारियों का डिजिटल पेमेंट शिफ्ट अन्य प्लेटफॉर्म की ओर जाता है।

प्रतिदिन मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में 500 करोड़ रुपये का कारोबार

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महाराष्ट्र अध्यक्ष शंकर ठक्कर कहते हैं कि होलसेल, ज्वेलरी और अन्य महंगी चीजों के व्यापार को छोड़ दिया जाए तो रिटेल तथा मध्यम दर्जे के कारोबार पर इसका असर हुआ जिसका प्रति दिन का कारोबार 500 करोड़ रुपये का है। पिछले तीन दिनों से यूपीआई सेवांए बाधित होने से मुंबई और मुंबई महानगर क्षेत्र  (एमएमआरडीए) के कारोबार 400 से 500 करोड़ रुपये नुकसान हो सकता है। हालांकि होलसेल कारोबार,  ज्वेलरी और आयात निर्यात से जुड़े कारोबार के पेमेंट आरटीजीएस, एनईएफटी और आईएमपीए से किया जाता है। लेकिन आज लोग 10 का पैकेट भी लेते हैं तो उसके लिए भी यूपीआई से भुगतान करते हैं। इसलिए रिटेल और मध्यम आकार के कारोबार पर बड़ा असर पड़ा है। उनका कहना है कि सरकार सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाने की जरूरत है, वहीं दूसरी कोई व्यवस्था जिसके जरिए कारोबारी या आम लोग पेमेंट कर सकें इस ओर भी विचार करने की जरूरत है।

साइबर अटैक की जांच जारी, उपभोक्ताओं को हुई परेशानी

फिलहाल अधिकारी बैंकों पर हुए इस साबर हमले की जांच कर रहे हैं और जल्दी ही इसका सामाधान निकाला जाएगा। जानकारों का कहना है कि साइबर सुरक्षा आज के समय में एक बड़ी चुनौती हो गई है। इसको लेकर रिजर्व बैंक समय समय पर जानकारी भी देता रहता है। बैंकों को अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत रखने को भी कहा जाता रहा है। एक जानकार बताते हैं कि इस साल की शुरुआत में कोटक महिन्द्रा बैंक को उसकी सुरक्षा को सही से संचालन नहीं होने की वजह से रिजर्व बैंक ने कड़ी चेतावनी दी थी। सूत्र बताते हैं कि छोटे बैंकों के साथ बड़े प्राइवेट बैंक आईटी सेवाओं के लिए आउटसोर्स करते हैं यानी कि वह बाहर किसी आईटी कंपनी को अपनी सुरक्षा सौंपते हैं। जिसकी वजह से बैंक फ्रॉड संभावना बढ़ जाती है। आउटसोर्स करने पर बैंकों को अपनी आईटी कंपनियों पर अलग से खर्च नहीं करना पड़ता है।

ग्राहक अपनी बैंक की वेबसाइट या एप के अपडेट पर रखें नजर

जानकारों का कहना है कि इसमें कारोबारी ही नहीं इन 300 बैंकों के उपभोक्ताओं को भी परेशानी हो रही है। वह अपने ट्रांजेक्शन नहीं कर पा रहे हैं। दिन प्रतिदिन के ट्रांजेक्शन पर भी असर पड़ा है। अभी यूजर्स को पेमेंट करने पर परेशानी हो रही है। उपभोक्ताओं को उनके बैंकों की वेबसाइट या ऐप के अपडेट पर नजर रखनी होगी। हाल ही में आई रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में बताया है कि देश में 42 करोड़ यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं। जानकारों के अनुसार इस समय देश में लगभग 1,500 को-ऑपरेटिव और रीजनल बैंक हैं, यह छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में संचालित होते हैं। कुछ समय पहले रिजर्व बैंक ने भारतीय बैंकों को संभावित साइबर अटैक को लेकर चेतावनी भी जारी की थी।

Related Articles

Back to top button