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11 साल काटी जेल, पत्नी बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद बदली पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की किस्मत…

आसिफ अली जरदारी  दूसरी बार पाकिस्तान के राष्ट्रपति चुने गए हैं।

शनिवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली और विधानसभाओं में मतदान करवाए गए थे। जरदारी आज राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं।

वह  दो बार पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनने वाले पहले इंसान हैं। इसके अलावा वह ऐसे पहले नागरिक राष्ट्रपति हैं जो कि सफलतापूर्वक एक बार अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।

वह 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। आसिफ अली जरदारी के सामने इस चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार महमूद खान अचकजई थे। जरदारी को संसद में 255 वोट मिले। वहीं अचकजई को 119 वोट ही मिले। 

पूर्वी प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भी कई मामले दर्ज किए गए थे।

हत्या, किडनैपिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें 11 साल तक जेल में रहना पड़ा। पाकिस्तान का सियासी इतिहास देखकर ऐसा लगता नहीं था कि वह कभी पाकिस्तान की सत्ता के शीर्ष पर पहुंच पाएंगे। 

अणेरिकी राजदूत एन पीटरसन ने अमेरिकी सरकार को लिखे अपने पत्र में कहा था कि जनरल परवेज मुशर्रफ नहीं चाहते थे कि आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनें।

इसीलिए बेनजीर भुट्टो को प्रधानमंत्री बनाया गया। इसीलिए 2008 में आसिफ अली जरदारी को राष्ट्रपति बनाया गया। साल 1955 में उनका जन्म हुआ था।

उन्होंने लंदन से बिजनेस ऐडमिनिस्ट्रेशन में ग्रैजएशन किया। उनके पिता हाकिम अली जरदारी जमींदार थे। इसके अलावा वह शेख मुजीब की आवामी नेशनल पार्टी का हिस्सा भी रह चुके थे। 

1987 में जब उनकी शादी पूर्व पीएम की बेटी बेनजीर भुट्टो से हुई तो आसिफ अली जरदारी का नाम सियासी गलियारों में सामने आने लगा।

शादी के एक साल बाद ही चुनाव हुए और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी को बहुमत मिल गया। बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बन गईं।

इसके बाद आसिफ अली जरदारी का नाम भ्रष्टाचार में भी आने लगा। राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान ने भुट्टो सरकार को बर्खास्त कर दिया।

जब नवाज की सरकार बनी तो 1990 में जरदारी को गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर हत्या, भ्रष्टाचार और किडनैपिंग के आरोप लगे जो कि अदालत में साबित नहीं हो पाए। 

बेनजीर भुट्टो 1993 में फिर पीएम बनीं लेकिन उन्हें 1996 में हटा दिया गया। वह उस वक्त दुबई में थे। पाकिस्तान आते ही उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।

इसके बाद वह 10 साल तक जेल में रहे। उस दौरान पाकिस्तान में  सैन्य शासन भी शुरू होगया। आसिफ अली जरदारी पर पत्नी बेनजीर भुट्टो के भाई की हत्या का भी आरोप लगा।

हालांकि बाद में वह बरी हो गए। जेल से रिहा होने के बाद वह दुबाई चले गए। 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद वह फिर से पाकिस्तान लौटे। 

2008 में पीपल्स पार्टी के साथ मुस्लीम लीग भी आ गई। इसतके बाद पांच साल तक वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।

जरदारी की खास बात यह भी कि वह सेना से टकराने का रास्ता बिल्कुल नहीं चुनते थे। वह मतभेद की स्थिति में सेना के अधिकारियों से बात करना पसंद करते थे. 

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